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Same Gotra Marriages And Khap Panchayat

खाप पंचायत परम्परा पंचायतें समाज विकास के आरम्भ से ही किसी न किसी रूप में चली आ रही हैं। पंचायतें आर्य कबीलों पर आधारित समाजों की विशिष्ट पहचान प्रतीत होती हैं। शुरू में इन पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी भी होती थी परन्तु कालान्तर में यह परम्परा विलुप्त होती चली गई और मध्यकालीन युग में पूर्णत: समाप्त हो गई। ज्ञातव्य है कि हरियाणा के अनेक गाँवों में तालाबों के किनारे शिवालय अथवा शिव मन्दिरों की स्थापना प्राचीन काल से ही प्रचलित है। ग्राम समाज शिवालय या मन्दिर में ही एकत्रिात होकर पूजा, प्रार्थना के साथ-साथ सामाजिक तथा व्यावहारिक चर्चाएँ भी करते थे। इन चर्चाओं के माध्यम से सामाजिक गतिविधियों का संचालन करते समय निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ती थी। जब सामूहिक निर्णय लिए जाते थे तो गाँवों के बड़े-बूढ़ों की राय को यथायोग्य सम्मान दिया जाता था। इन्हीं सार्वजनिक सहमतियों के लिए एकत्रिात समाज को गणराज्य तथा पंचायत राज माना गया है। यहीं से इनकी नींव पड़ी है। ग्रामीण समाज पंचायत के रूप में बहुत से व्यक्तियों के समूह द्वारा विचार करने के उपरान्त निर्णय लेने से पूर्व इन्हीं एकत्रिात व्यक्तियों में

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